जम्मू से अमरनाथ तीर्थयात्रियों का पहला जत्था शुक्रवार को रवाना हुआ
जम्मू जम्मु-कश्मीर में पवित्र अमरनाथ यात्रा के लिए श्रद्धालुओं का पहला जत्था शुक्रवार को कड़ी...
जम्मू
जम्मु-कश्मीर में पवित्र अमरनाथ यात्रा के लिए श्रद्धालुओं का पहला जत्था शुक्रवार को कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच यहां भगवती नगर यात्री निवास आधार शिविर से रवाना होगा।आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि अमरनाथ श्रद्धालुओं के पहले जत्थे को आज सुबह यात्री निवास से रवाना किया गया । जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने तीर्थयात्रियों की सुचारू यात्रा के लिए व्यापक व्यवस्था की है।
जम्मू संभागीय आयुक्त रमेश कुमार ने जम्मू क्षेत्र के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक आनंद जैन के साथ अमरनाथ यात्रा के लिए प्रशासन की ओर से की गयी तैयारियों का निरीक्षण किया। अधिकारियों ने अमरनाथ पवित्र यात्रा के लिए यात्री निवास में आने वाले तीर्थयात्रियों को सभी सुविधाएं और सेवाएं निर्बाध रूप से प्रदान करने के निर्देश जारी किये हैं। उन्होंने चौबीसों घंटे नियंत्रण कक्ष के कामकाज की निगरानी करने तथा आवश्यक सेवाओं के प्रतिनिधियों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के निर्देश दिए, जबकि परिवहन अधिकारियों को यात्रियों की जानकारी के लिए निजी टैक्सियों तथा तिपहिया वाहनों की दरों का व्यापक प्रचार करने को कहा।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि इस साल, प्रशासन और सुरक्षा बलों ने तीर्थयात्रा के सुचारू संचालन के लिए विशेष व्यवस्था की है। शांतिपूर्ण यात्रा के लिए एक बहु-स्तरीय सुरक्षा ग्रिड बनाया गया है। राष्ट्रीय राजमार्ग, गुफा मार्गों और आधार शिविरों पर सैनिकों की पर्याप्त तैनाती के अलावा, निगरानी बनाए रखने के लिए तकनीक का अधिकतम उपयोग भी किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि जम्मू में अमरनाथ आधारशिविर के आसपास त्रिस्तरीय सुरक्षा व्यवस्था की गयी है, जिसका जिम्मा जम्मू-कश्मीर पुलिस की सुरक्षा शाखा के पास है। जम्मू से वार्षिक यात्रा की सुरक्षित शुरुआत सुनिश्चित करने के लिए सुरक्षा बलों ने तलाशी और सैनिटाइजेशन अभियान चलाया है। जम्मू शहर में ठहरने की जगहों और पंजीकरण केंद्रों पर भी कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है। उन्होंने कहा कि तीर्थयात्रियों की परेशानी मुक्त आवाजाही सुनिश्चित करने के लिए सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने गुफा मंदिर की ओर जाने वाली सड़क को उन्नत किया है।
इस बीच अमरनाथ यात्रा को ध्यान में रखते हुए जम्मू-कश्मीर यातायात पुलिस ने गुरुवार को यातायात की आवाजाही पर प्रतिबंध की घोषणा की। यातायात पुलिस की सलाह पर प्रशासन ने विभिन्न स्थानों पर वाहनों की आवाजाही पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है। ये प्रतिबंध 28 जून से 19 अगस्त के बीच लागू रहेंगे। पर्यटकों और यात्रियों सहित आम लोगों से अनावश्यक असुविधा से बचने के लिए निर्देशों का सख्ती से पालन करने तथा अपनी यात्रा की योजना उसी के अनुसार बनाने का आग्रह किया है।
जम्मू पर्यटन विभाग ने तीर्थयात्रियों के लिए 'जम्मू दर्शन' और उनकी यात्रा को यादगार बनाने के लिए दर्शनीय स्थलों की यात्रा की भी व्यवस्था की है।
अमरनाथ यात्रा के तीर्थयात्रियों गुफा मंदिर के दोनों मार्गों पर मिलेंगे 125 'लंगर' स्टाॅल
उत्तर कश्मीर बालटाल और दक्षिण कश्मीर अनंतनाग आधार शिविरों के लिए सुरक्षा वाहनों में रवाना होंगे। अधिकारियों ने कहा कि यात्रियों का पहला जत्था शुक्रवार सुबह 4 बजे भगवती नगर यात्री निवास से सुरक्षा काफिले में घाटी के लिए रवाना होगा और वे शनिवार को 'दर्शन' करेंगे।
लगभग 300 किलोमीटर लंबे जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग की सुरक्षा के लिए सैकड़ों सीएपीएफ को यात्रा कर्तव्यों पर तैनात किया गया है। सीएपीएफ की अधिक टीमें 85 किमी लंबी श्रीनगर-बालटाल बेस कैंप रोड और काजीगुंड-पहलगाम बेस कैंप रोड की सुरक्षा कर रही हैं। अधिकारियों ने श्रीनगर-बालटाल मार्ग पर गांदरबल जिले के मनिगाम में और काजीगुंड-पहलगाम मार्ग पर मीर बाजार में यात्रा पारगमन शिविर स्थापित किए हैं।
इस साल की अमरनाथ यात्रा के लिए अब तक कुल 3.50 लाख यात्रियों ने पंजीकरण कराया है। और, गुफा मंदिर के दोनों मार्गों पर 125 'लंगर' (सामुदायिक रसोई) स्थापित किए गए हैं। इन लंगरों में 7,000 से अधिक सेवादार यात्रियों की सेवा करेंगे। पहलगाम और बालटाल दोनों मार्गों पर तीर्थयात्रियों के लिए हेलीकॉप्टर सेवाएं भी उपलब्ध हैं। इस वर्ष, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, स्थानीय पुलिस, बीएसएफ और सीआरपीएफ से ली गई 38 पर्वतीय बचाव टीमों को यात्रा के लिए तैनात किया गया है।
प्रत्येक वर्ष सफल अमरनाथ यात्रा में स्थानीय कुली, पोनीवाला और हाथ से काम करने वाले मजदूर बड़े पैमाने पर योगदान देते हैं। नुनवान (पहलगाम-गुफा तीर्थ) पारंपरिक मार्ग 48 किमी लंबा है जबकि बालटाल-गुफा तीर्थ मार्ग केवल 14 किमी लंबा है। पारंपरिक नुनवान (पहलगाम-गुफा तीर्थ) मार्ग का उपयोग करने वाले यात्रियों को गुफा मंदिर तक पहुंचने में चार दिन लगते हैं, जबकि छोटे बालटाल-गुफा तीर्थ मार्ग का उपयोग करने वाले यात्री 'दर्शन' करते हैं और उसी दिन आधार शिविर में लौट आते हैं।