बछिया के जन्मोत्सव पर 300 मेहमानों को न्योता, सत्यनारायण कथा और शानदार दावत
बछिया के जन्मोत्सव पर 300 मेहमानों को न्योता, सत्यनारायण कथा और शानदार दावत
छत्तीसगढ़ संवाददाता
धमतरी, 25 मार्च। मोहब्बत और अपनापन सिर्फ इंसानों तक ही सीमित नहीं होता, बल्कि जानवर भी हमारे परिवार का अहम हिस्सा होते हैं। इसी जज़्बे को साबित किया धमतरी के बाबूलाल सिन्हा और उनके परिवार ने, जब उन्होंने अपनी प्यारी बछिया के जन्मोत्सव को किसी बड़े इवेंट की तरह मनाने का फैसला किया।
बछिया की सालगिरह पर खास इंतजाम
बाबूलाल सिन्हा के घर दो गायें हैं, जिनमें से एक ने तीन महीने पहले एक नन्ही बछिया को जन्म दिया। यह मौका उनके लिए बहुत खास था, इसलिए उन्होंने इसका जश्न मनाने का इरादा किया। खास बात ये रही कि इस मौके पर 300 लोगों को इन्विटेशन कार्ड देकर दावत दी गई।
भव्य सजावट और मेहमान रह गए दंग
इस शानदार जश्न के लिए टेंट लगाया गया और फूलों से सजावट की गई। स्टेज भी खूबसूरत तरीके से सजाया गया, जिससे आने वाले हर मेहमान ने दंग होकर कहा, ऐसा बछिया का जन्मोत्सव पहले कभी नहीं देखा।
सत्यनारायण कथा और लज़ीज़ खाना
इस मुबारक मौके पर सत्यनारायण कथा का भी आयोजन किया गया, जिसमें लोगों ने शिरकत करके दुआएं मांगीं। कथा के बाद मेहमानों को खीर, पूरी और बड़ा जैसे लज़ीज़ खाने से नवाज़ा गया।
मेहमानों से मिली तौहफे और नामकरण
लोग इस खुशी में शरीक होने के लिए हरी घास और चारा बतौर तौहफा लाए। इस मौके पर फैमिली ने नन्हीं बछिया का नाम लक्ष्मी रखने का एलान किया।
तीन साल पहले मिली थी घायल बछिया की मां
बाबूलाल सिन्हा ने तीन साल पहले एक घायल बछिया को सडक़ से उठाकर अपने घर लाया और उसका इलाज करवाया। जब वह ठीक हुई, तो उसे अपने परिवार का हिस्सा बना लिया। आज उसी बछिया ने एक प्यारी-सी नन्ही बछिया को जन्म दिया, तो परिवार की खुशी का कोई हिसाब ही नहीं रहा।
लोगों ने कहा - ऐसा अनोखा जश्न पहले कभी नहीं देखा
जब लोगों के पास इन्विटेशन कार्ड पहुंचा, तो बहुत से लोग हैरान रह गए। भला बछिया के जन्म पर भी कोई कार्ड बांटता है? लेकिन जब उन्होंने वहां पहुंचकर माहौल देखारौनक, सजावट, डीजे, कथा और शानदार दावततो सबकी हैरत खुशी में बदल गई।
पशु-प्रेम और इंसानियत की मिसाल
ये सिर्फ एक जन्मोत्सव नहीं था, बल्कि एक बड़ा पैगाम भी था कि जानवर भी हमारी फैमिली का हिस्सा होते हैं। उनकी खुशियों को मनाना और उनकी देखभाल करना हमारी जिम्मेदारी है। बाबूलाल सिन्हा का ये कदम समाज में पशु-प्रेम और इंसानियत की एक बेहतरीन मिसाल बन गया है।
अब ये अनोखा जन्मोत्सव पूरे इलाके में चर्चा का मौजू बना हुआ है और लोग इस मुहब्बत-भरे जश्न की मिसाल दे रहे हैं।
छत्तीसगढ़ संवाददाता
धमतरी, 25 मार्च। मोहब्बत और अपनापन सिर्फ इंसानों तक ही सीमित नहीं होता, बल्कि जानवर भी हमारे परिवार का अहम हिस्सा होते हैं। इसी जज़्बे को साबित किया धमतरी के बाबूलाल सिन्हा और उनके परिवार ने, जब उन्होंने अपनी प्यारी बछिया के जन्मोत्सव को किसी बड़े इवेंट की तरह मनाने का फैसला किया।
बछिया की सालगिरह पर खास इंतजाम
बाबूलाल सिन्हा के घर दो गायें हैं, जिनमें से एक ने तीन महीने पहले एक नन्ही बछिया को जन्म दिया। यह मौका उनके लिए बहुत खास था, इसलिए उन्होंने इसका जश्न मनाने का इरादा किया। खास बात ये रही कि इस मौके पर 300 लोगों को इन्विटेशन कार्ड देकर दावत दी गई।
भव्य सजावट और मेहमान रह गए दंग
इस शानदार जश्न के लिए टेंट लगाया गया और फूलों से सजावट की गई। स्टेज भी खूबसूरत तरीके से सजाया गया, जिससे आने वाले हर मेहमान ने दंग होकर कहा, ऐसा बछिया का जन्मोत्सव पहले कभी नहीं देखा।
सत्यनारायण कथा और लज़ीज़ खाना
इस मुबारक मौके पर सत्यनारायण कथा का भी आयोजन किया गया, जिसमें लोगों ने शिरकत करके दुआएं मांगीं। कथा के बाद मेहमानों को खीर, पूरी और बड़ा जैसे लज़ीज़ खाने से नवाज़ा गया।
मेहमानों से मिली तौहफे और नामकरण
लोग इस खुशी में शरीक होने के लिए हरी घास और चारा बतौर तौहफा लाए। इस मौके पर फैमिली ने नन्हीं बछिया का नाम लक्ष्मी रखने का एलान किया।
तीन साल पहले मिली थी घायल बछिया की मां
बाबूलाल सिन्हा ने तीन साल पहले एक घायल बछिया को सडक़ से उठाकर अपने घर लाया और उसका इलाज करवाया। जब वह ठीक हुई, तो उसे अपने परिवार का हिस्सा बना लिया। आज उसी बछिया ने एक प्यारी-सी नन्ही बछिया को जन्म दिया, तो परिवार की खुशी का कोई हिसाब ही नहीं रहा।
लोगों ने कहा - ऐसा अनोखा जश्न पहले कभी नहीं देखा
जब लोगों के पास इन्विटेशन कार्ड पहुंचा, तो बहुत से लोग हैरान रह गए। भला बछिया के जन्म पर भी कोई कार्ड बांटता है? लेकिन जब उन्होंने वहां पहुंचकर माहौल देखारौनक, सजावट, डीजे, कथा और शानदार दावततो सबकी हैरत खुशी में बदल गई।
पशु-प्रेम और इंसानियत की मिसाल
ये सिर्फ एक जन्मोत्सव नहीं था, बल्कि एक बड़ा पैगाम भी था कि जानवर भी हमारी फैमिली का हिस्सा होते हैं। उनकी खुशियों को मनाना और उनकी देखभाल करना हमारी जिम्मेदारी है। बाबूलाल सिन्हा का ये कदम समाज में पशु-प्रेम और इंसानियत की एक बेहतरीन मिसाल बन गया है।
अब ये अनोखा जन्मोत्सव पूरे इलाके में चर्चा का मौजू बना हुआ है और लोग इस मुहब्बत-भरे जश्न की मिसाल दे रहे हैं।