सुकमा वन मंडल विभाग के रेंजर द्वारा भ्रष्टाचार हद की सीमा पार
सुकमा वन मंडल विभाग के रेंजर द्वारा भ्रष्टाचार हद की सीमा पार
सुकमा, 11 अप्रैल। सुकमा वन मंडल के द्वारा गोंगला ग्राम पंचायत में तालाब डबरी का निर्माण तबाड़ तोड़ एक ही एरिया में किया गया है निर्माण कार्य पूर्ण हो जाने के बावजूद भी सूचनापटल लापता।
जानकारी मांगे जाने पर किया जाता है गुमराह
मजे की बात तो यह है वन विभाग के रेजर गुलशन कुमार साहू को पता नहीं की किस मत से काम हुआ है काम की जानकारी मांगने पर कहते हैं मनरेगा से हुआ है देखना पड़ेगा और मनरेगा विभाग जानकारी पूछो तो कहते हैं यहां से नहीं हुआ है।
भ्रष्टाचार की चरम सीमा पार चल रहा है जंगल राज
शुक्र है की सुकमा रेंजर सुकमा में पदस्थ है अगर उनके कंधे पर पूरे छत्तीसगढ़ वन मंडल कि जिम्मेदारी दिया जाता तो यह पूरे जंगल में गड्ढे ही गड्ढे कर देते ।
गोंगला पंचायत में वन विभाग के द्वारा किए गए कार्यों का ना ही कोई सूचना पटल है ना सुकमा रेंजर को तालाब निर्माण कार्य में लगी राशि कि जानकारी है जबकि कार्य सुकमा रेंजर के निगरानी में किया गया खुद का इंस्ट्रूमेंट और खुद का मनचाहा तालाब लंबाई चौड़ाई और गहराई भी खुद का
जानकारी मांगे जाने पर विभाग रेंजर द्वारा किया जाता है गुमराह
जबकि सूचना पटल के लिए विभाग के द्वारा 30000 से 50000 रुपए की स्वीकृति भी मिलती है।
आखिर क्या वजह है कि रेंजर बिना सुचना पटल के लाखो का काम कर फर्जीवाड़ा किया गया और जहां कही वन विभाग का सुचना पटल लगा भी है तो ना योजना का नाम दर्शाया गया है ना ही स्वीकृत राशि लिखा गया है जल्द ही इस मामले को अगर प्रशासन द्वारा संज्ञान में नहीं लिया गया तो फिर विपक्ष के नेताओं द्वारा किया जाएगा प्रदर्शन ऐसी जानकारी विपक्ष के नेताओं ने दी है। मामले को विधानसभा प्रश्न काल में लगाया जाएगा।
आखिर खबर प्रकाशन होने के बाद भी मामले का प्रशासन को संज्ञान क्यों नही
पिछले कुछ दिन पूर्व कई खबरें अखबार में प्रकाशित हुई बड़े शेट्टी ग्राम पंचायत में सड़क निर्माण के लिए सैकड़ो पेड़ों की कटाई बिना अनुमति के ठेकेदार द्वारा की गई इसका खुलासा आज तक नहीं हो पाया कि वन विभाग द्वारा क्या कार्रवाई हुई एक तरफ शासन के लाखों रुपए खर्च पौधा रोपण किया जा रहा है और दूसरी तरफ आप स्वयं समझ सकते हैं।
सुकमा, 11 अप्रैल। सुकमा वन मंडल के द्वारा गोंगला ग्राम पंचायत में तालाब डबरी का निर्माण तबाड़ तोड़ एक ही एरिया में किया गया है निर्माण कार्य पूर्ण हो जाने के बावजूद भी सूचनापटल लापता।
जानकारी मांगे जाने पर किया जाता है गुमराह
मजे की बात तो यह है वन विभाग के रेजर गुलशन कुमार साहू को पता नहीं की किस मत से काम हुआ है काम की जानकारी मांगने पर कहते हैं मनरेगा से हुआ है देखना पड़ेगा और मनरेगा विभाग जानकारी पूछो तो कहते हैं यहां से नहीं हुआ है।
भ्रष्टाचार की चरम सीमा पार चल रहा है जंगल राज
शुक्र है की सुकमा रेंजर सुकमा में पदस्थ है अगर उनके कंधे पर पूरे छत्तीसगढ़ वन मंडल कि जिम्मेदारी दिया जाता तो यह पूरे जंगल में गड्ढे ही गड्ढे कर देते ।
गोंगला पंचायत में वन विभाग के द्वारा किए गए कार्यों का ना ही कोई सूचना पटल है ना सुकमा रेंजर को तालाब निर्माण कार्य में लगी राशि कि जानकारी है जबकि कार्य सुकमा रेंजर के निगरानी में किया गया खुद का इंस्ट्रूमेंट और खुद का मनचाहा तालाब लंबाई चौड़ाई और गहराई भी खुद का
जानकारी मांगे जाने पर विभाग रेंजर द्वारा किया जाता है गुमराह
जबकि सूचना पटल के लिए विभाग के द्वारा 30000 से 50000 रुपए की स्वीकृति भी मिलती है।
आखिर क्या वजह है कि रेंजर बिना सुचना पटल के लाखो का काम कर फर्जीवाड़ा किया गया और जहां कही वन विभाग का सुचना पटल लगा भी है तो ना योजना का नाम दर्शाया गया है ना ही स्वीकृत राशि लिखा गया है जल्द ही इस मामले को अगर प्रशासन द्वारा संज्ञान में नहीं लिया गया तो फिर विपक्ष के नेताओं द्वारा किया जाएगा प्रदर्शन ऐसी जानकारी विपक्ष के नेताओं ने दी है। मामले को विधानसभा प्रश्न काल में लगाया जाएगा।
आखिर खबर प्रकाशन होने के बाद भी मामले का प्रशासन को संज्ञान क्यों नही
पिछले कुछ दिन पूर्व कई खबरें अखबार में प्रकाशित हुई बड़े शेट्टी ग्राम पंचायत में सड़क निर्माण के लिए सैकड़ो पेड़ों की कटाई बिना अनुमति के ठेकेदार द्वारा की गई इसका खुलासा आज तक नहीं हो पाया कि वन विभाग द्वारा क्या कार्रवाई हुई एक तरफ शासन के लाखों रुपए खर्च पौधा रोपण किया जा रहा है और दूसरी तरफ आप स्वयं समझ सकते हैं।