सीबीआई ने मुंबई की अदालत को बताया, शीना बोरा की हड्डियां हैं 'गायब'
सीबीआई ने मुंबई की अदालत को बताया, शीना बोरा की हड्डियां हैं 'गायब'
मुंबई, 14 जून । सीबीआई ने मुंबई की एक विशेष अदालत को बताया है कि 12 साल पहले शीना बोरा की हत्या के बाद रायगढ़ पुलिस द्वारा बरामद की गई उसकी हड्डियां और अन्य अवशेष गायब हैं और उनका पता नहीं लगाया जा सकता है। यह खुलासा मामले की गवाह, सर जे. जे. अस्पताल में फोरेंसिक विशेषज्ञ डॉ. जेबा खान से पूछताछ के दौरान हुआ। उन्होंने सबसे पहले पुष्टि की थी कि बरामद हड्डियां और अन्य अवशेष किसी इंसान के हैं। एक स्थानीय पुलिसकर्मी की मदद से, हड्डियों को रायगढ़ में पेन पुलिस ने उस स्थान से बरामद किया, जहां बोरा के शव को कथित तौर पर जला दिया गया था और गगोडे-खुर्द गांव के पास घने जंगलों में फेंक दिया गया था। पुलिस ने आरोप लगाया कि मुंबई मेट्रो में कार्यरत बोरा की हत्या उसकी मां और उसके पूर्व पति ने अपने ड्राइवर के साथ मिलकर 24 अप्रैल, 2012 को की थी, लेकिन मामले का खुलासा अगस्त 2015 में हुआ।
सात मई को अदालत की सुनवाई में सीबीआई की ओर से पेश सरकारी वकील सी.जे. नांदोडे ने डॉ. खान से पहचान के लिए बरामद हड्डियों को दिखाने की मांग की, लेकिन काफी खोजबीन के बाद भी वे नहीं मिल पाईं। गुरुवार को अगली सुनवाई में सीबीआई ने स्वीकार किया कि हड्डियों के दो पैकेटों का पता नहीं लगाया जा सका और गवाह (डॉ. खान) से पूछताछ जारी रहेगी। अभियोजन पक्ष के अनुसार, बोरा की मां व पूर्व मीडिया दिग्गज इंद्राणी मुखर्जी ने अपने पूर्व पति संजीव खन्ना और अपने ड्राइवर श्यामवर राय के साथ मिलकर 24 अप्रैल, 2012 की रात को कार में उसका गला घोंट दिया था। बाद में उसी रात, वे उसके शव को सूटकेस में छिपाकर गगोडे-खुर्द ले गए और जला दिया और अगली सुबह घर लौटने से पहले अवशेषों को जंगल में फेंक दिया। एक महीने बाद, स्थानीय पुलिस को जली हुई हड्डियां और अवशेष मिले। लेकिन हत्या का मामला अगस्त 2015 में राय, इंद्राणी और बाद में खन्ना की गिरफ्तारी के बाद ही सामने आया। इंद्राणी को मई 2022 में जमानत पर रिहा किया गया, जबकि राय को मामले में अभियोजन पक्ष का गवाह बनने पर पहले ही रिहा कर दिया गया था। (आईएएनएस)
मुंबई, 14 जून । सीबीआई ने मुंबई की एक विशेष अदालत को बताया है कि 12 साल पहले शीना बोरा की हत्या के बाद रायगढ़ पुलिस द्वारा बरामद की गई उसकी हड्डियां और अन्य अवशेष गायब हैं और उनका पता नहीं लगाया जा सकता है। यह खुलासा मामले की गवाह, सर जे. जे. अस्पताल में फोरेंसिक विशेषज्ञ डॉ. जेबा खान से पूछताछ के दौरान हुआ। उन्होंने सबसे पहले पुष्टि की थी कि बरामद हड्डियां और अन्य अवशेष किसी इंसान के हैं। एक स्थानीय पुलिसकर्मी की मदद से, हड्डियों को रायगढ़ में पेन पुलिस ने उस स्थान से बरामद किया, जहां बोरा के शव को कथित तौर पर जला दिया गया था और गगोडे-खुर्द गांव के पास घने जंगलों में फेंक दिया गया था। पुलिस ने आरोप लगाया कि मुंबई मेट्रो में कार्यरत बोरा की हत्या उसकी मां और उसके पूर्व पति ने अपने ड्राइवर के साथ मिलकर 24 अप्रैल, 2012 को की थी, लेकिन मामले का खुलासा अगस्त 2015 में हुआ।
सात मई को अदालत की सुनवाई में सीबीआई की ओर से पेश सरकारी वकील सी.जे. नांदोडे ने डॉ. खान से पहचान के लिए बरामद हड्डियों को दिखाने की मांग की, लेकिन काफी खोजबीन के बाद भी वे नहीं मिल पाईं। गुरुवार को अगली सुनवाई में सीबीआई ने स्वीकार किया कि हड्डियों के दो पैकेटों का पता नहीं लगाया जा सका और गवाह (डॉ. खान) से पूछताछ जारी रहेगी। अभियोजन पक्ष के अनुसार, बोरा की मां व पूर्व मीडिया दिग्गज इंद्राणी मुखर्जी ने अपने पूर्व पति संजीव खन्ना और अपने ड्राइवर श्यामवर राय के साथ मिलकर 24 अप्रैल, 2012 की रात को कार में उसका गला घोंट दिया था। बाद में उसी रात, वे उसके शव को सूटकेस में छिपाकर गगोडे-खुर्द ले गए और जला दिया और अगली सुबह घर लौटने से पहले अवशेषों को जंगल में फेंक दिया। एक महीने बाद, स्थानीय पुलिस को जली हुई हड्डियां और अवशेष मिले। लेकिन हत्या का मामला अगस्त 2015 में राय, इंद्राणी और बाद में खन्ना की गिरफ्तारी के बाद ही सामने आया। इंद्राणी को मई 2022 में जमानत पर रिहा किया गया, जबकि राय को मामले में अभियोजन पक्ष का गवाह बनने पर पहले ही रिहा कर दिया गया था। (आईएएनएस)