HNLU में 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस पर होगा अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन
HNLU में 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस पर होगा अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन
रायपुर। हिदायतुल्ला नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी (HNLU) 5 जून, 2024 को विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर ग्रीन गवर्नेंस, क्लाइमेट जस्टिस, ट्रेड एंड एन्वायरोन्मेंटल राइट्स : कोंस्टीटूशनल एंड लीगल पर्सपेक्टिव्स पर एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन कर रहा है। सम्मेलन ऑनलाइन आयोजित किया जाएगा। इस कार्यक्रम का आयोजन पर्यावरण से संबंधित चर्चा के बहुमुखी आयामों के गहन समझ हेतु सेंटर फॉर एन्वायरोन्मेंटल लॉज़, सेंटर फॉर कोंस्टीटूशनलिज़्म एंड फेडरलिज़्म, तथा सेंटर फॉर डब्लू टी ओ - डब्लू आई पी ओ के तत्वावधान में किया जा रहा है ।
यह सम्मेलन जलवायु परिवर्तन चर्चा के वैश्विक महत्व को समझते हुए अभूतपूर्व पैमाने पर पर्यावरणीय समानता, न्याय, आर्थिक और तकनीकी चुनौतियों के समाधान की और कदम उठाने का एक प्रयास है । इस संदर्भ में, जलवायु परिवर्तन से जूझना व्यावहारिक और राजनीतिक वास्तविकताओं से जटिल है, जिसमें गरीबी को कम करने, शासन के मुद्दों को संबोधित करने और कॉमन बट डिफरेंशिएटेड रिस्पांसिबिलिटी एंड रेस्पेक्टिवे कैपेबिलिटीज (सीबीडीआर) के सिद्धांत का पालन करने की तत्काल आवश्यकता शामिल है। भारत के जमीनी स्तर के पर्यावरण आंदोलनों के समृद्ध इतिहास के बावजूद, पर्यावरण में चिंताजनक रूप से गिरावट जारी है। बयानबाजी और कार्यान्वयन के बीच अंतर को पाटना अत्यावश्यक है, इसके लिए ठोस पर्यावरणीय कार्य योजना की आवश्यकता है।
इसके मूल में, यह सम्मेलन पर्यावरण संवैधानिकता पर जोर देता है, पर्यावरण के लिए संवैधानिक सुरक्षा की वकालत करता है, जिसमें राज्य और व्यक्तियों के अधिकार और कर्तव्य दोनों शामिल हैं। नवीन समाधानों, नीतियों और प्रथाओं के लिए एक मंच के रूप में कार्य करके, सम्मेलन सतत विकास के लिए व्यापक और समावेशी दृष्टिकोण को बढ़ावा देना चाहता है।
जैसे हम 5 जून, 2024 को विश्व पर्यावरण दिवस के करीब पहुंच रहे हैं, सम्मेलन की प्रासंगिकता बढ़ गई है, जिसका लक्ष्य एक ऐसी दुनिया के लिए कार्रवाई और सहयोग को प्रेरित करना है जहां जलवायु न्याय और सतत विकास को सार्वभौमिक रूप से बरकरार रखा जाता है।
सम्मेलन में शिक्षाविदों, रिसर्च स्कॉलर्स , छात्रों, पेशेवरों, पर्यावरण उत्साही और अन्य प्रासंगिक हितधारकों से एब्स्ट्रेक्ट और फूल पेपर आमंत्रित हैं। यह इस क्षेत्र में ज्ञान और नवाचार के मौजूदा भंडार को समृद्ध करने की दिशा में एक छूटा प्रयास सिद्ध होगा।
रायपुर। हिदायतुल्ला नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी (HNLU) 5 जून, 2024 को विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर ग्रीन गवर्नेंस, क्लाइमेट जस्टिस, ट्रेड एंड एन्वायरोन्मेंटल राइट्स : कोंस्टीटूशनल एंड लीगल पर्सपेक्टिव्स पर एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन कर रहा है। सम्मेलन ऑनलाइन आयोजित किया जाएगा। इस कार्यक्रम का आयोजन पर्यावरण से संबंधित चर्चा के बहुमुखी आयामों के गहन समझ हेतु सेंटर फॉर एन्वायरोन्मेंटल लॉज़, सेंटर फॉर कोंस्टीटूशनलिज़्म एंड फेडरलिज़्म, तथा सेंटर फॉर डब्लू टी ओ - डब्लू आई पी ओ के तत्वावधान में किया जा रहा है ।
यह सम्मेलन जलवायु परिवर्तन चर्चा के वैश्विक महत्व को समझते हुए अभूतपूर्व पैमाने पर पर्यावरणीय समानता, न्याय, आर्थिक और तकनीकी चुनौतियों के समाधान की और कदम उठाने का एक प्रयास है । इस संदर्भ में, जलवायु परिवर्तन से जूझना व्यावहारिक और राजनीतिक वास्तविकताओं से जटिल है, जिसमें गरीबी को कम करने, शासन के मुद्दों को संबोधित करने और कॉमन बट डिफरेंशिएटेड रिस्पांसिबिलिटी एंड रेस्पेक्टिवे कैपेबिलिटीज (सीबीडीआर) के सिद्धांत का पालन करने की तत्काल आवश्यकता शामिल है। भारत के जमीनी स्तर के पर्यावरण आंदोलनों के समृद्ध इतिहास के बावजूद, पर्यावरण में चिंताजनक रूप से गिरावट जारी है। बयानबाजी और कार्यान्वयन के बीच अंतर को पाटना अत्यावश्यक है, इसके लिए ठोस पर्यावरणीय कार्य योजना की आवश्यकता है।
इसके मूल में, यह सम्मेलन पर्यावरण संवैधानिकता पर जोर देता है, पर्यावरण के लिए संवैधानिक सुरक्षा की वकालत करता है, जिसमें राज्य और व्यक्तियों के अधिकार और कर्तव्य दोनों शामिल हैं। नवीन समाधानों, नीतियों और प्रथाओं के लिए एक मंच के रूप में कार्य करके, सम्मेलन सतत विकास के लिए व्यापक और समावेशी दृष्टिकोण को बढ़ावा देना चाहता है।
जैसे हम 5 जून, 2024 को विश्व पर्यावरण दिवस के करीब पहुंच रहे हैं, सम्मेलन की प्रासंगिकता बढ़ गई है, जिसका लक्ष्य एक ऐसी दुनिया के लिए कार्रवाई और सहयोग को प्रेरित करना है जहां जलवायु न्याय और सतत विकास को सार्वभौमिक रूप से बरकरार रखा जाता है।
सम्मेलन में शिक्षाविदों, रिसर्च स्कॉलर्स , छात्रों, पेशेवरों, पर्यावरण उत्साही और अन्य प्रासंगिक हितधारकों से एब्स्ट्रेक्ट और फूल पेपर आमंत्रित हैं। यह इस क्षेत्र में ज्ञान और नवाचार के मौजूदा भंडार को समृद्ध करने की दिशा में एक छूटा प्रयास सिद्ध होगा।